भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को
जैसे मिल ना रहा हो किनारा, मिल ना रहा हो किनारा
उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो
............किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे गुरु देवा ...
Menu hai aas teri tu hai asra hein mera
ReplyDeleteteri yaad vich hai beete har sham te savera
menu hai aas ………..
sab ka bhala karo bhagwan
sabhi ka kaliyan ho
sab ka malik ek
JAI SAI RAM ……………