जय श्री कृष्ण,
मित्रों, मुझे आपलोगों से एक जानकारी चाहिए ! तुला दान जो करते हैं, तराजू के एक पलड़े में एक किसी इन्सान को बिठा देते हैं, और दूसरी ओर कुछ सामग्री रखते हैं ! फिर वो सामग्री दान कर देते हैं, इसका क्या अभिप्राय होता है ! क्या दान करने से क्या लाभ होता है ! कृपया आप सबमें से जिसे भी इसका विस्तृत ज्ञान हो, वो कृपया विस्तार से ! एवं जिन्हें जितना ज्ञान हो वो उतना ही बताये ! सभी लोगों से निवेदन है, कि अपना-अपना मत प्रदान करें !!
!! जय श्री कृष्ण !!
मित्रों, मुझे आपलोगों से एक जानकारी चाहिए ! तुला दान जो करते हैं, तराजू के एक पलड़े में एक किसी इन्सान को बिठा देते हैं, और दूसरी ओर कुछ सामग्री रखते हैं ! फिर वो सामग्री दान कर देते हैं, इसका क्या अभिप्राय होता है ! क्या दान करने से क्या लाभ होता है ! कृपया आप सबमें से जिसे भी इसका विस्तृत ज्ञान हो, वो कृपया विस्तार से ! एवं जिन्हें जितना ज्ञान हो वो उतना ही बताये ! सभी लोगों से निवेदन है, कि अपना-अपना मत प्रदान करें !!
!! जय श्री कृष्ण !!
पावन धरा हे धर्म की तो मेरा हिंद हे ,
ReplyDeleteहर साँस में हमारी आनंद कन्द हे ,
चरणों में जिसके अमृत बाणी में वैद हे ,
हरी हर ह्रदय में बसता न कोई भेद हे ,
जीबन की हर उमंग में जिसकी सुगंध हे,
हर साँस में हमारी आनंद कन्द हे ,