Wednesday, February 9, 2011

क्या आप ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते हैं ?

जय श्री कृष्ण,
क्या आप ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते हैं ?' - नरेंद्र ने मन में उठ रहे असंख विचारों को एक सारयुक्त प्रशन के रूप में रामकृष्ण परमहंस जी से पूछा |
परमहंस - हाँ ! विश्वास करता हूँ |
नरेंद्र - क्या प्रमाण है ईश्वर के असितत्व का ?
परमहंस - प्रमाण ! सबसे बड़ा प्रमाण केवल यही है नरेंद्र कि मैंने उसे देखा है | अपने इतने करीब कि इस समय तू भी मेरे इतना नजदीक नहीं खड़ा है | मैं उसे देखता हूँ, उससे बात करता हूँ...
नरेंद्र अवाक् रह गया | देखता हूँ ! बात करता हूँ ! कितनी सरलता से रामकृष्ण परमहंस जी कह रहे हैं | क्या यह सत्य है?
परमहंस - नरेंद्र! ईश्वर को देखना ही उसके असितत्व का प्रमाण है | मैना देखा है, मैं तुम्हें भी दिखा सकता हूँ | बोलो, क्या तुम देखना चाहते हो?... बोलो, क्या तुम देखोगे?
'बोलो,क्या तुम देखोगे?' - कितना स्पष्ट आह्वान था, ईश्वर से मिलने का! इतना आसान, इतना सरल... नरेंद्र ने श्री रामकृष्ण परमहंस जी के चरणों में सिर झुका दिया | सारी दौङ ख़त्म हो गई, सभी संशयों का निवारण हुआ, जब रामकृष्ण परमहंस जी ने नरेंद्र को ब्रह्मज्ञान प्रदान किया | नरेंद्र ने दिव्य दृष्टि से अपने भीतर ही ईश्वर के दर्शन किये | परमहंस जी ने देखा था, उसे भी दिखा दिया |
पूर्ण ब्रहम ज्ञान पैर के अनूठे से मस्तक में पहुचा दिया ! देख कर तब कहीं जाकर नरेंद्र ने ईश्वर के असितत्व को स्वीकारा! और ऐसा स्वीकारा कि अपना सम्पूर्ण जीवन उसी के नाम कर दिया | गुरू प्रसाद से स्वामी विवेकानंद बनकर विशव के विराट प्रांगन में प्रभु के नाम का डंका बजा दिया |
आज भी प्रभु का दर्शन संभव है, बस जरूरत है एक पूर्ण संत की जो हमें दीक्षा के समय दर्शन करवा दे |
शिष्य नरेन्द्र कि लायकी देख कर गुरु रामकृष्ण परमहंस जी ने पूर्ण ब्रहम ज्ञान पैर के अनूठे से मस्तक में पहुचा दिया !
------------एक कुए में गधा गिर गया . उसका मालिक चिल्लाता रह.गाव वालो ने सलाह दी कुए को मिटटी से भर दो, मालिक बोला नहीं मेरे गधे को जिन्दा दफ़न मत करो. फिर भी गाव वाले एक एक करके कुए में मिटटी डालते गए.जैसे ही मिटटी कुए में पड़े गधे की ऊपर गिरती गधा वो मिट ज़टक देता और मिटटी के ऊपर आता गया. अंत में कुए के मुख तक मिटटी आने पर गधा कूदकर बहार आ गया. ऐसा ही हम लोगो का है. निराकरण की और जाने की बजाय व्यर्थ की चिंता में डरते रहते है. ज्ञान को apply करो supply नहीं !!!!
श्री कृष्ण की विख्यात प्राणसखी और उपासिका राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थी। राधा कृष्ण शाश्वत प्रेम का प्रतीक हैं। राधा की माता कीर्ति के लिए 'वृषभानु पत्नी' शब्द का प्रयोग किया जाता है। राधा को कृष्ण की प्रेमिका और कहीं-कहीं पत्नी के रुप में माना जाता हैं। राधा वृषभानु की पुत्री थी। पद्म पुराण ने इसे वृषभानु राजा की कन्या बताया है। यह राजा जब यज्ञ की भूमि साफ कर रहा था, इसे भूमि कन्या के रूप में राधा मिली। राजा ने अपनी कन्या मानकर इसका पालन-पोषण किया। यह भी कथा मिलती है कि विष्णु ने कृष्ण अवतार लेते समय अपने परिवार के सभी देवताओं से पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए कहा। तभी राधा भी जो चतुर्भुज विष्णु की अर्धांगिनी और लक्ष्मी के रूप में वैकुंठलोक में निवास करती थीं, राधा बनकर पृथ्वी पर आई। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार राधा कृष्ण की सखी थी और उनका विवाह भांडीरवन में भांडीरवट के निचे ब्रह्मा जी ने स्वयं अपने हांथों से कृष्ण के साथ सम्पन्न कराया था ! अन्यत्र राधा और कृष्ण के विवाह का और भी बहुत सारा उल्लेख मिलता है। कहते हैं, राधा अपने जन्म के समय ही वयस्क हो गई थी !! कृपा की मूरत बन ब्रिन्दाबन में पधारी !!!!!!!
अत:हे राधे रानी,हमारी आपसे बारम्बार प्रार्थना है,की हम पतितों का भी ख्याल रखना !
कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी, तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी !

तो दीनों के दिल में जगह तुम ना पाते, तो किस दिल में होती हिफ़ाज़त तुम्हारी !

ग़रीबों की दुनियाँ है आबाद तुमसे, ग़रीबों से है बादशाहत तुम्हारी !

ना हम होते मुल्ज़िम ना तुम होते हाक़िम, ना घर-घर में होती इबादत तुम्हारी !

तुम्हारी ही उल्फ़त के दृग " बिन्दु " हैं ये, तुम्हें सौपते हैं अमानत तुम्हारी ॥



!!!!!!! राधे राधे.....राधे राधे....!!!!!!!

6 comments:

  1. सार्थक चिंतन. स्वागत.

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  2. बहुत ही अच्छी और भावमय प्रस्तुति...ज्ञानप्रद प्रसंग...

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  3. मनीष जी नमस्ते!

    "ज्ञान को apply करो supply नहीं !!!!"

    बहुत सुन्दर विचार और मनन ....

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  4. इस बात में कोई भी दो राय नहीं है कि लिखना बहुत ही अच्छी आदत है, इसलिये ब्लॉग पर लिखना सराहनीय कार्य है| इससे हम अपने विचारों को हर एक की पहुँच के लिये प्रस्तुत कर देते हैं| विचारों का सही महत्व तब ही है, जबकि वे किसी भी रूप में समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच पहुँच सकें| इस कार्य में योगदान करने के लिये मेरी ओर से आभार और साधुवाद स्वीकार करें|

    अनेक दिनों की व्यस्ततम जीवनचर्या के चलते आपके ब्लॉग नहीं देख सका| आज फुर्सत मिली है, तब जबकि 14 फरवरी, 2011 की तारीख बदलने वाली है| आज के दिन विशेषकर युवा लोग ‘‘वैलेण्टाइन-डे’’ मनाकर ‘प्यार’ जैसी पवित्र अनुभूति को प्रकट करने का साहस जुटाते हैं और अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्यार भरा उपहार देते हैं| आप सबके लिये दो लाइनें मेरी ओर से, पढिये और आनन्द लीजिये -

    वैलेण्टाइन-डे पर होश खो बैठा मैं तुझको देखकर!
    बता क्या दूँ तौफा तुझे, अच्छा नहीं लगता कुछ तुझे देखकर!!

    शुभाकॉंक्षी|
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
    सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    (देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
    फोन : 0141-2222225(सायं सात से आठ बजे के बीच)
    मोबाइल : 098285-02666

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  5. उत्तम जीवनदर्शन. आभार...

    हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
    http://najariya.blogspot.com/

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  6. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी चिट्ठा जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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