Friday, January 28, 2011

!! जय श्री कृष्ण !!

जय श्री कृष्ण,
!! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
!!
आइये आज हम सब मिलकर इस मंत्र के ऊपर विचार करें !!
मंत्र - मननात त्रायते
इति मंत्र: - अर्थात जो मनन करने से हमें त्राण दे यानि हमारी रक्षा करे उसे मंत्र
कहते हैं !! मनन का अर्थ है कि जिसका उच्चारण,चिंतन,और जप किया जाय !!
१.उच्चारण
- जैसे ॐ, ह्रीं, क्लिं,ह्रौं,जूं,स:आदि आदि ! इन शब्दों के उच्चारण से हमारे दिमाग
और शरीर की ऐसी मांसपेशियां स्फुरित होती है की हमें तरह तरह के फायदे होते हैं
!!
२.चिंतन - ये एक ऐसी पद्धति है, जिससे हमारा मानसिक संतुलन बना रहता है तथा
हमारे दिमाग की क्षमता का विकास होता है ! दूर तक सोंच जाती है हमारी, और लौकिक तथा
पारलौकिक दोनों तरह के फायदे होते हैं !!
३.जप - नारद भक्ति सूत्र - जपात
सिद्धिर्जपात सिद्धिर्जपात सिद्धिर्न संसयः!! दूरदर्शन, दुरश्रवन, अनिर्वचनीय ज्ञान
की प्राप्ति होती है इसमें कोई संसय नहीं है !(संक्षिप्त में है
यह)

तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय --- ॐ - यह परब्रह्म वाचक है !
नमो ---
नमस्कार को कहते हैं !!
भगवते --- भग - "ऐश्वर्यस्य, समग्रस्य, वीर्यस्य,
यशसश्रीयः ! ज्ञान वैराग्य योश्चैव षड नाम भग इतीर्यते" !! अर्थात - हर प्रकार का
ऐश्वर्य,
हर प्रकार की
सम्पन्नता,
हर प्रकार का पराक्रम, हर प्रकार की लक्ष्मी,हर तरह का
ज्ञान,सम्पूर्ण रूप से वैराग्य -
सम्पूर्ण रूप से इन्हीं छः
गुणों को भग कहते हैं !! और ये

समस्त गुण सम्पूर्ण रूप से
जहाँ
निवास करे उसे भगवान कहते हैं !! क्योंकि "भग अस्ति अस्ते" इति भगवान
!!
वासुदेवाय - वसति सर्वं इति वसु:,दिब्यते इति देव:, "वसुश्चासौ देवश्च
वसूदेव:" !!
मतलब ये हुआ की जो कण - कण में रहकर भी सबसे अलग है दिब्य है,उसे
वासुदेव कहते हैं !!
कुल मिलकर -- इस मंत्र का अर्थ ये है --- जो कण - कण में है
और सबसे अलग है ! जिसके पास हर तरह की सम्पन्नता(सम्पूर्ण लक्ष्मी) है फिर भी
निर्लिप्त है ! जो सबसे बलवान है फिर भी बल का अहंकार नहीं है ! गाँव - गाँव में
मंदिर - मंदिर में यहाँ तक की घट-घट में जिसकी पूजा होती है यानि सबसे बड़ा यशस्वी
है फिर अपने मुंह अपनी बड़ाई नहीं करता ! जो सम्पूर्ण ज्ञान का मालिक है फिर भी
घमंडी नहीं है ! इन सबसे सम्पूर्ण रूप से वैरागी होने के बाद भी वैरागी होने का
दिखावा न करके अपनी पत्नी (लक्ष्मी) के साथ रहता है ! उस परब्रह्म परमात्मा को मैं
सादर नमस्कार करता हूँ !!
ये है इस मंत्र का अर्थ !!
अरे भाई जी दो चार
शास्त्रों की बातों को पढ़कर,दो चार लोगों को अपनी बातों में उलझाकर,दो चार लोगों
को लालच दिखाकर,किसी तरह ऊँचे मंच पर बैठ गए,मिडिया को माध्यम बनाकर लोगों के दिलों
में जगह बना लेने से कोई भगवान नहीं बन जाता !!
भगवान बनाने के लिए इतना कुछ
चाहिए , और ये किसी व्यक्ति विशेष में किसी भी प्रयत्न के बाद भी नहीं हो सकता !
इसलिए ओ बड़े - बड़े धर्मगुरुओं -- धर्म का प्रचार करो,लोगों का सही मार्गदर्शन
करो,इसीलिए परमात्मा ने हमें यहाँ भेजा है,अपनी गद्दी हथियाने के लिए नहीं,और जिस
दिन उसकी गद्दी को खतरा होगा उस दिन ,
हिरण्यकशिपू-हिरण्याक्ष,शिशुपाल-दन्तवक्त्रक और रावण-कुम्भकर्ण के जैसी
तुम्हारी दुर्गति यहीं के इन्हीं राक्षस जैसे लोगों से करके रख देगा उसे आने की
जरुरत भी नहीं पड़ेगी ! इसलिए यहाँ धर्म का प्रचार जी जान से करो जियो और मौज करो !
किसी को भगवान का नाम लेकर लूटने का प्रयत्न मत करो,धर्म को बदनाम होने से बचाओ,और
एक साफ सुथरी प्रतिष्ठा में माँ-बाप के यहाँ पल-बढकर,उनकी प्रतिष्ठा बचाकर बिटिया
अपने पति के यहाँ चली जाती है, ऐसे ही तुम भी,अपने पति परमात्मा के यहाँ साफ-सुथरी
प्रतिष्ठा लेकर जाओ,और यहाँ के लोगों को भी मुक्ति का मार्ग दिखाओ !!
नोट -- जो
अन्दर से सचमुच अच्छे हैं,उनपर ये सूत्र लागु नहीं होता,और उनको ये शब्द बाण की तरह
चुभेगा भी नहीं, और जो गलत हैं उन्हें यह शब्द बाण की तरह चुभेगा !!
!! जय श्री
कृष्ण !!

Wednesday, January 26, 2011

dosti

Dosti Ek Ahesas Hai Muhabbaton Ka
Dosti Ek Jazba Hai Shahadaton Ka
Dosti Har Gaam Sath Chala Karti Hai
Dosti Saye Ke Manind Howa Karti Hai
Dosti Dukh Bhare Jazbat Ka Hissa Hai
Dosti Qushion Ke Lamhat Ka Hissa Hai
Dosti Qurbani Ka Dosra Naam Hai
Dosti Iqlas Ka Anokha Paigham Hai
Dosti Subha Ki Hawaon Si Hoti Hai
Dosti Mahekti Fizaon Si Hoti Hai
Dosti Pholon Ki Qushbo Si Hoti Hai
Dosti Sapno Ki Ek Jado Si Hoti Hai
Dosti Doston Ki Wafaon Se Hoti Hai
Dosti Doston Ki Jafaon Se Hoti Hai
Dosti Amn Ka Qushion Ka Geet Hoti Hai
Dosti Kai Suron Ka Sangheet Hoti Hai
Dosti Sab Ko Piyaar Karna Sikhati Hai Apas Me
Dosti Ladna Aur Jhagadna Sikhati Hai Apas Me
Sare Doston Ko Bas Yehi Kahena Hai Danish
Dosti Ki Har Shaan Kabhi Kam Hone Na dena
Chahe Jaan Par Hi Kion Na Ajaye,Kuch Bhi Ho
Jazb-e-dosti Ko Kabhi Badnaam Na Hone Dena…

ये शास्त्रों का नाद है और यही अटल सत्य है

जय श्री कृष्ण,
       गीता में भगवान सी कृष्ण कहते हैं --- अर्जुन के पूछने पर, अर्जुन ने पूछा की हे वार्ष्णेय ! किसकी प्रेरणा से न चाहते हुए भी व्यक्ति बलपूर्वक पापाचरण करता है,भगवान बोले --- काम एष क्रोध एष रजोगुण समुद्भवः ! महाशनो महापाप्मा विद्धयेनमिह वैरिणम !! (गीता ३/३७)
अर्थात हे अर्जुन ! रजोगुण से उत्पन्न यह काम ही क्रोध है , यह भोगों से कभी न अघाने वाला और बड़ा पापी है , इसको ही तू इस विषय में अपना सबसे प्रबल शत्रु मान (समझ) !!
          अभिप्राय यह है की हम दुनियां की बातें तो कर लेते है , अथवा ज्ञान की बड़ी - बड़ी शेखी बघार लेते है ! लेकिन क्या ये हमारा मन हमारे बस में है क्योंकि -----   मन: एव मनुष्याणाम कारणं बंध मोक्षयो:!! मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है !! गीता के ही दुसरे एक सूत्र के अनुसार , पहले किसी भी चीज को देखने या सुनने की ईच्छा जाग्रत होती है, फिर उसे पाने की कामना, न मिलने पर क्रोध और उसके बाद पतन !! तो इन सबका जिम्मेवार कौन है,क्या ये विचारणीय प्रश्न नहीं है !!  अगर है तो फिर इन सब फालतू के तर्क वितर्कों में अपना बहुमूल्य समय गंवाने का क्या मतलब !! ये ऐसा नहीं वैसा, वो वैसा नहीं ऐसा, ये ॐ कार क्या है ये शिव बड़ा की राम बड़ा,तो कभी रुद्राक्ष क्या है, कभी नारद कौन थे ! इस तरह की तरह - तरह की बातों का कोई मतलब नहीं बनता हमारे ख्याल से , क्योंकि ------ तुलसीदास जी के अनुसार को बड़ छोट कहत अपराधू !!
          और रही ॐ कार की बात तो ये तो अनाहत नाद है , ये तर्क का विषय नहीं है , ये तो पचाने की चीज है , अगर क्षमता है तो इसे पचाकर देखो फिर अपनी पहचान बताने की जरुरत नहीं !! फिर तुम्हें गुरुओं के गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता,फिर तो बड़े - बड़े आचार्य आकर चरणों की बंदना करेंगे, फिर दुनियां के उस शीर्ष को पाने अथवा छूने से कोई नहीं रोक सकता , ये शास्त्रों का नाद है और यही अटल सत्य है !!
!! जय श्री कृष्ण !!

जय श्री कृष्ण

जय श्री कृष्ण,

ऊं तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत् ! पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शत गुं श्रुणुयाम शरदः शतं प्र ब्रवाम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात् !!

अर्थ :-- देवताओं के द्वारा प्रतिष्ठित,जगत के नेत्र स्वरूप तथा दिब्य तेजोमय ज्योति से सम्पन्न जो भगवान आदित्य पूर्व दिशा में उदित होते हैं;उनकी कृपा से हम सौ वर्षों तक देखें अर्थात सौ वर्षों तक हमारी नेत्र ज्योति बनी रहे,सौ वर्षों तक सुख पूर्वक जीवन-यापन करें,सौ वर्षों तक श्रवण-शक्ति से सम्पन्न रहेंसौ वर्षों तक अस्खलित वाणी से युक्त रहें,सौ वर्षों तक दैन्यभाव से रहित होकर रहें अर्थात किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े !! और सौ वर्षों से भी ज्यादा हमारे इष्ट मित्र बंधू-बांधव,प्रेमी , यजमान तथा समस्त भगवत्प्रेमी भक्त जन भी देखें, जिए, सुनें, बोलें और अदीन रहें !! { शुक्ल यजुर्वेद }

Monday, January 10, 2011

duwa karna

Duwa karna yaro juda ho rahe hai,
Rahi zindagi to fir aaker milenge..
Ager mergaye to duwa karte rehna,
Aansun bahane ki koshish na karna..
A duniya badi bewafa hai samajhna,
Kahin dil lagane ki koshish na karna.
Mere doston zindagi ek safer hai samajhna,
Kahin thaher jane ki koshish na karna.
Danishon ki duniya hai sari,
Alfazon ka mydan hai sara.
Zer aur zaber ko pehechan na pao,
To mydan me aane ki koshish na karna.
Kashti ummidon ki ger sahil na paye,
To khud dub jane ki koshish na karna.
Kadam pe andhera karegi ye duniya,
Kahin dil jalane ki koshish na karma.
Kabhi ro ke muskuraye , kabhi muskura ke roye,
Jab bhi teri yaad aayi tujhe bhula ke roye,
ek tera hi to naam tha jise hazar bar likha,
Jitna likh ke khush hue us se jayada mita ke roye.
Akela sa mehsus karo jab tanhai me,
Yaad meri aye jab judai me,
Mehsus karna tumhare karib hu me,
Jab chahe dekh lena apni hi parchai me.
Kadam yuhi dagmaga gaye raaste me,
Warna sambhlna hum bhi jaanthe the,
Thokar bhi lagi tho us pathar se,
Jise hum apna mante the.
Kaash woh samajthe is dil ki tadap ko,
Tho yun humein ruswa na kiya hotha.
Unki ye berukhi zulm bhi manzoor thi humein,
Bas ek baar humein samaj-liya hotha?
Wo roye to bahut, par mujhse muh mod kar roye
Koi majburi hogi to dil tod kar roye
Mere samne kar diye mere tasveer ke tukde
Pata chala mere piche wo unhe jod kar roye
Mere khwabon mein aana aapka kasur tha
Aapse dil lagana hamara kasur tha
Aap aaye the zindagi mein pal do pal ke liye
Aapko zindagi samajh lena hamara kasur tha
Authors Unkown
Thanks With Best Regards.

Friday, January 7, 2011

yaad

हिचकियों से एक बात का पता चलता है,
कि कोई हमे याद तो करता है,
बात न करे तो क्या हुआ,
कोई आज भी हम पर कुछ लम्हे बरबाद तो करता है

ज़िंदगी हमेशा पाने के लिए नही होती,
हर बात समझाने के लिए नही होती,
याद तो अक्सर आती है आप की,
लकिन हर याद जताने के लिए नही होती

महफिल न सही तन्हाई तो मिलती है,
मिलन न सही जुदाई तो मिलती है,
कौन कहता है मोहब्बत में कुछ नही मिलता,
वफ़ा न सही बेवफाई तो मिलती है

कितनी जल्दी ये मुलाक़ात गुज़र जाती है
प्यास भुजती नही बरसात गुज़र जाती है
अपनी यादों से कह दो कि यहाँ न आया करे
नींद आती नही और रात गुज़र जाती है

उमर की राह मे रस्ते बदल जाते हैं,
वक्त की आंधी में इन्सान बदल जाते हैं,
सोचते हैं तुम्हें इतना याद न करें,
लेकिन आंखें बंद करते ही इरादे बदल जाते हैं

कभी कभी दिल उदास होता है
हल्का हल्का सा आँखों को एहसास होता है
छलकती है मेरी भी आँखों से नमी
जब तुम्हारे दूर होने का एहसास होता है ...