Thursday, January 24, 2013

जन्मभूमि

"हम भूल चुके है जिस पीडा को उसको फिर
उसकानी है
केसरिया झन्डा सुना रहा है हमको अमर कहानी
रिषी मुनियो की जन्मभूमि यह भारत इसका नाम
देवो की अवतार भूमि यह सतियो का प्रिय धाम
दूर देश से भिक्षुक आते थे बिद्या के काम
इतिहास बताते है भारत के बेदो की अमर कहानी
केसरिया झंन्डा सुना रहा है हमको अमर कहानी
यवनो का अधिकार हुआ रिपुओ की सब कुछ बन
आयी
धर्म त्याग जो नही किया तो खाले
उसकी खिचवाई
बेद जलाये देवालय तोडे मस्जिद वहा पे बनाई
भारत का जर्रा जर्रा कहता बीरो की नदानी
केसरिया झंडा सुना रहा है हमको अमर कहानी
नादिरसाही हुक्म चला था कट गये सर लाखों
देश धर्म की बलिदानी पर शीश चडे है लाखों
दिल्ली के तख्त पलटते हमने देखे है इन ऑखों
नही सुनी तो फिर सुन लो बीरो की कुर्बानी
केसरिया झन्डा सुना रहा है हमको अमर कहानी
मुगलो ने जब किया धर्म के नाम अनर्थ अपार
चमक उठी लाखों बिजली सी राजपूती तलवार
और सुनो हल्दी घाटी मे वही रक्त की धार
हर हर की ध्वानी मे सुनते है वह हुंकार पुरानी
केसरिया झन्डा सुना रहा है हमको अमर कहानी
काबुल को फतह किया पर नही मस्जिद तुडवाई
अत्याचारी गौरी की गर्दन कहा कटाई
अरे बिदेशी शत्रु को हमने माना भाई
बुझते दीपशिखा की हमको फिर ज्योति जलानी है
केसरिया झन्डा सुना रहा है हमको अमर कहानी
याद हमे है दुर्गादास औ साँगा रणधीर
याद हमे है सोमनाथ औ बुन्देले बीर
याद हमे है हल्दीघाटी औ हठी हमीर
याद हमे है रण मे जूझी वह महारानी
केसरिया झन्डा सुना रहा है हमको अमर कहानी

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