Wednesday, January 26, 2011

जय श्री कृष्ण

जय श्री कृष्ण,

ऊं तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत् ! पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शत गुं श्रुणुयाम शरदः शतं प्र ब्रवाम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात् !!

अर्थ :-- देवताओं के द्वारा प्रतिष्ठित,जगत के नेत्र स्वरूप तथा दिब्य तेजोमय ज्योति से सम्पन्न जो भगवान आदित्य पूर्व दिशा में उदित होते हैं;उनकी कृपा से हम सौ वर्षों तक देखें अर्थात सौ वर्षों तक हमारी नेत्र ज्योति बनी रहे,सौ वर्षों तक सुख पूर्वक जीवन-यापन करें,सौ वर्षों तक श्रवण-शक्ति से सम्पन्न रहेंसौ वर्षों तक अस्खलित वाणी से युक्त रहें,सौ वर्षों तक दैन्यभाव से रहित होकर रहें अर्थात किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े !! और सौ वर्षों से भी ज्यादा हमारे इष्ट मित्र बंधू-बांधव,प्रेमी , यजमान तथा समस्त भगवत्प्रेमी भक्त जन भी देखें, जिए, सुनें, बोलें और अदीन रहें !! { शुक्ल यजुर्वेद }

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