Tuesday, April 19, 2011

सनातन धर्मं की जय

जय श्री कृष्ण,
एक बार बैठक हुयी जिसमें ये चर्चा हुई की सबसे बड़ा कौन ? बहुत से लोगों ने मत दिया की पृथ्वी सबसे बड़ी है जहां अरबों लोग , असंख्य जीव जंतु और वनस्पतियाँ हैं , लेकिन समुन्दर ने कहा मेरा क्षेत्रफल तो पृथ्वी से तीन गुना है फिर तो मैं बड़ा हूँ ......
ये सुनकर समुद्र को एक विद्वान ने डांट दिया था ,
अभिमान तेरा अगस्त्य ने एक पल में झाड़ दिया था ,
लेकिन अगस्त्य भी अब एक सितारा है फलक पर ,
मानो गेंद की तरह एक नजारा है फलक पर ,
ये सुनकर आसमान को क्यों न फक्र हो ,
जहां करोड़ों सितारों ने बसाया अपना घर हो ,
ये देखकर एक भक्त ने उसे रोक दिया था ,
कहा की तुझे तो वामन ने एक पग में माप लिया था ...
तो मानन पड़ा भगवान् सबसे बड़ा है ,
जिसके सहारे जहां ये खड़ा है ,
इतने में एक भक्त बोल पड़ा सुनो बात हमारी ,
मेरे मन में बसा वो मोहन मुरारी ,
जब चाहे मैं बेख़ौफ़ उसको बुला लूं ,
उसको मैं अपने मन में बसा लूं ,
मानन पड़ा भक्त सबसे बड़ा है ,
भगवान् भी जिसके बंधन में बांधके पड़ा है ....
भक्तवत्सल भगवान् की जय ...........सनातन धर्मं की जय ...
!! जय श्री कृष्ण !! श्री राधे श्री राधे राधे श्री राधे !!

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