Tuesday, March 13, 2012

शान्त परिस्थिति

इस शान्त परिस्थिति में......और आप को इस शान्त मन:स्थिति में मैं अवश्य ही वह कह सकूंगा. . .जो मैं कहना चाहता हूँ कि सबको कह दूँ, लेकिन बहरे हृदयों को देखकर अपने को रोक लेना पड़ता है !
सत्य की साधना के लिये चित्त की भूमि वैसे ही तैयार करनी होती है, जैसे फूलो को बोने के लिये पहले भूमि को तैयार किया जाता है !
पहला सूत्र: वर्तमान में जीना ! (Living in the Present) अतीत और भविष्य के चिंतन की यांत्रिक धारा में न बहे ! उसके कारण वर्तमान का जीवित क्षण (Living moment) व्यर्थ ही निकल जाता है ! जबकि केवल वही वास्तविक है ! न अतीत की कोई सत्ता है, न भविष्य की ! एक स्मृति में है, एक कल्पना में ! वास्तविक और जीवन केवल वर्तमान है ! सत्य को यदि जाना जा सकता है, तो केवल वर्तमान में होकर ही जाना जा सकता है !

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