Saturday, April 23, 2011

पाँच बातें

1. भगवच्चरित्र का श्रवण करो । महापुरुषों के जीवन की गाथाएँ सुनो या पढ़ो । इससे भक्ति बढ़ेगी एवं ज्ञान वैराग्य में मदद मिलेगी ।



2. भगवान की स्तुति भजन गाओ या सुनो ।



3.
अकेले बैठो तब भजन गुनगुनाओ । अन्यथा, मन खाली रहेगा तो उसमे काम, क्रोध,
लोभ, मोह, मद, मात्सर्य आयेंगे । कहा भी गया है कि “खाली मन - शैतान का घर
|”



4. जब परस्पर मिलो तब परमेश्वर की, परमेश्वर-प्राप्त
महापुरुषों की चर्चा करो । दिये तले अँधेरा होता है लेकिन दो दियों को आमने
सामने रखो तो अँधेरा भाग जाता है । फिर प्रकाश ही प्रकाश रहता है । अकेले
में भले कुछ अच्छे विचार आयें किंतु वे ज्यादा अभिव्यक्त नहीं होते । जब
ईश्वर की चर्चा होती है तब नये-नये विचार आते हैं, एक दूसरे का अज्ञान और
प्रमाद हटता है तथा एक दूसरे की अश्रद्धा मिटती है ।



भगवान
और भगवत्प्राप्त महापुरुषों में हमारी श्रद्धा बढ़े ऐसी ही चर्चा करनी सुननी
चाहिए । सारा दिन ध्यान नहीं लगेगा, सारा दिन समाधि नहीं होगी । अत: ईश्वर
की चर्चा करो, ईश्वर सम्बन्धी बातों का श्रवण करो । इससे समझ बढ़ती जायेगी,
प्रकाश बढ़ता जायेगा, शांति बढ़ती जायेगी ।



5. सदैव प्रभु की स्मृति करते-करते चित्त को आनंदित होने की आदत डाल दो ।



ये पाँच बातें परमात्म प्रेम बढ़ाने में अत्यंत सहायक हैं ।

1 comment:

  1. अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो। न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, अाकाश से बना है अौर इसी में मिल जायेगा। परन्तु अात्मा स्थिर है - फिर तुम क्या हो? •तुम अपने अापको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है। तुम सबके हो। न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, अाकाश से बना है अौर इसी में मिल जायेगा। परन्तु अात्मा स्थिर है - फिर तुम क्या हो?

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