Friday, August 19, 2011

रुद्राक्ष का औषधीय उपयोग

जय श्री कृष्ण,

श्री विनोद तिवारी जी, द्वारा लिखित लेख ----- मुझे तो अति सुन्दर एवं ज्ञान वर्धक लगा इसलिए आप सभी मित्रों के लिए भी ले आया ||
रुद्राक्ष का औषधीय उपयोग 
धार्मिक क्षेत्र में रुद्राक्ष अनादिकाल से ‘रुद्राक्ष माला’ के रूप में प्रचलित है और मंत्र सिद्धि के लिए इसका प्रयोग होते देखा गया है। तांत्रिक प्रयोग और सिद्धियों में भी इसका प्रयोग होता है। हमारे शरीर रूपी यंत्र को सुसंचालित करने के लिए भी रुद्राक्ष उपयोगी है। धर्मशास्त्र में रुद्राक्ष अपने बहुउपयोग के कारण शिवतुल्य मंगलकारी माना गया है। चिकित्साशास्त्र में भी रुद्राक्ष के चमत्कारी उपयोग भरे है। 
रुद्राक्ष श्वेत, लाल, पीत और कृष्ण इन चार रंगों में प्राप्त होता है। यह एकमुखी से चौदहमुखी तक प्राप्त होता है। विश्व में इसकी १२३ जातियां उपलब्ध है। भारत में २५ जातियां पाई जाती है।
भारत में यह हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र, बंगाल, बिहार, असम, मध्यप्रदेश और विदेशों में नेपाल, मलेशिया, इंडोनेशिया, चीन आदि में मिलता है।
यह गुणों में गुरु और स्निन्ध, स्वाद में मधुर और वीर्य में शीतवीर्य होता है। रुद्राक्ष वेदनाशामक, ज्वरशामक, अंगों को सुद़ृढ करने वाला, श्वासनलिकाओं के अवरोध को दूर करने वाला, विषनाशक और उदर कृमिनाशक है। यह एक उत्तम त्रिदोष शामक है।
रुद्राक्ष वातनाशक तथा कफनाशक है। अनेक रोगों में यह बहुत उपयोगी है। इसके कुछ बहुपरीक्षित प्रयोग इस प्रकार है।
बहुपरीक्षितबहुउपयोगी रुद्राक्ष के प्रयोगः
* शिरशूलः सिर के दर्द में इसे पानी में घिसकर माथे पर चंदन की तरह लेप करने से तुरंत फायदा होता है।

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