Wednesday, July 20, 2011

गुरु

श्रीमान विक्की रावनजी का एक प्रश्न आपके सन्मुख रख रहा हु...आप गुरु और देवतामें क्या अंतर मानते है ..??

"यो देव: सा देवता" ऐश्वर्यशाली चेतनशक्तिको ही देवता कहते है ! दुसरे और आसान शब्दोंमें कहे तो "ददाति ह्वासो ऐश्वर्याणी" जो ऐश्वर्य प्रदान करे, वही देवता है ! तेजोमय होनेके कारण यह दुसरोको प्रकाशित करते है !

"गोप रुपें जायते इति गुरु" गुरु तत्व शरीर नहीं प्रकाश है !जिसने इन्द्रियोंको अपने वशमें करके रोम रोममें गोविन्दको बसा रखा है उसीका नाम गुरु है ! जो अज्ञान रूपी अन्धकारको निकालके प्रकाश रूपी इश्वरका साक्षात्कार करवा दे उसीका नाम गुरु है !....श्री राधेश्याम...हरि हरः

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