Saturday, July 23, 2011

समर्थ है

जाऊ न मै किसी मदिर में,
न जाऊ किसी के द्वार,
गुरु जब मेरा समर्थ है,
गुरु है मेरा पालनहार,मै भिखारी गुरु के आगे,
दया की भीख मांगता हूँ,
भीख के एक टुकड़े से,
भरपेट जी लेता हूँ,
मेरा स्वर्ग है गुरुद्वार,
गुरु है मेरा पालनहार,गंगाजल न पियूँ गुरु के,



चरण धो धो कर पीयू,
चरण धुली को देह में लगाकर,
जन्मो के पाप मिटाॐ,
इसी से होगा मेरा उदार,
गुरु है मेरा पालनहार,
बापू के जैसा न कोई सहारा देखा,
बापू के भक्तों जैसा न कोई प्यारा देखा,
कहीं और जाने की तमन्ना भी क्यूँ हो?
जब मोटेरा में ही जन्नत का नज़ारा देखा 

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