Tuesday, June 21, 2011

राधा श्री राधा

भगवान श्री कृष्ण अनन्त ऐश्वर्य, अनन्त बल, अनन्त यश, 
अनन्त श्री, अनन्त ज्ञान और अनन्त वैराग्य की जीवन्त मूर्ति हैं

ब्रज मण्डल के कण कण में है बसी तेरी ठकुराई।
कालिन्दी की लहर लहर ने तेरी महिमा गाई॥
पुलकित होयें तेरो जस गावें श्री गोवर्धन गिरिराई।
लै लै नाम तेरौ मुरली पै नाचे कुँवर कन्हाई॥
व्रज समुद्र मथुरा कमल, वृन्दावन मकरंद।
व्रजबनिता सब पुष्प हैं, मधुकर गोकुलचंद

राधा श्री राधा रटूं, निसि-निसि आठों याम।
जा उर श्री राधा बसै, सोइ हमारो धाम

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