Thursday, June 30, 2011

मुझे इंसान बना दो

बापू  , मुझे इंसान बना दो
तेरे दर पर खड़ा हूँ
थक गया हूँ जीवन से
सर से सारा भार उतार दो ( बापू  ............इंसान बना दो )

झूठ , फरेब ,क्रोध , मोह के
चक्रवीऊ में फसा हुआ हूँ
माया के जाल से
मुझे आज मुक्त करा दो ( बापू .......................इंसान बना दो )

जीवन की तीखी धूप ने
मेरी भावनाओं को झुलस दिया है
इस तपती धूप पर
अपनी ठड़ी छाव बिछादो ( बापू  ....................इंसान बना दो )

करूणा , शमा का वास
जीवन से मिट गया है
इस कठोर दिल को
दया का पाठ पड़ा दो ( बापू  ............................इंसान बना दो )

धन दौलत की आस ने
बिखेर दिया है मुझे
इस टूटे हुए आईने को
समेट लो अपने हाथो में ( बापू  .............................इंसान बनना दो )

आज तेरे दर पर आया हो
खाली ना जाऊगा
तेरे विश्वास को अपनी
आत्मा में बसाऊ गा
तुझे अपना बनाऊ गा
जय बापू आसारामजी ................................................
जीवन की हर ठोकर खायी है मैंने
अब ना अपनी गलती दोराहुगा
थाम लुगा तेरा आचल
और इंसान बनके जाऊगा ( २)

No comments:

Post a Comment