Sunday, June 5, 2011

श्रद्धा के साथ गुरु

तेरी मौजूदगी का हर पल दवा होता है
तेरी मज़िल पे रखा हर कदम सवा होता है
जो जीता है तेरी महफिलों के सदके में
वह बुजुर्गवार भी नौज़वान होता है
तू झौंक दे अपनी इबादत का सुरूर
इसी आदत से अल्लाह महरबान होता है
“सभी को समर्पण और सद्भावना कि बधाइयाँ “
जो व्यक्ति श्रद्धा के साथ गुरु के शरणागत होकर अपने धर्म को जानकर अपने धर्म का आचरण करते हैं केवल वही व्यक्ति सभी पाप कर्मों से बच पाता है, धर्म पालन के बिना पाप कर्मों से बच पाना असंभव है।

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