Sunday, June 26, 2011

प्रेम ही ईश्वर है

प्रेम ही ईश्वर है,यह ही नशवर है,यह ही नर को नारायण से जोड़ता है
प्रेम ही बापू का सरूप है,बापू प्रेम की ही परिभाषा है,वो समाज में प्रेम ही तोह बाटने आए है,उनका अहम् तत्पर्ये समाज में फेले भेद भाव को हटाकर प्रेम की ज्योत परजालित करना है,वेह चारो और प्यार बाटते चाहे हिंदू हो या मुस्लमान,सिख या ईसाई,सबको समान नज़र से देखते,सभी के सुख दुःख बाटते,अगर कोई दुखी होता तोह बापू के समक्ष आते ही बापू उसके दुःख हर लेते और चारो और प्रेम का वातावरण कर देते ,बापू का यह भी कहना है कि
जितना हम प्रेम को समाज में फेलायेगे ,उतना ही अपने निकट हम मालिक को पाएंगे!!!!

2 comments:

  1. धूल तेरे चरणों की बापू चन्दन और अबीर बनी
    जिसने लगाई निज मस्तक पर उसकी तो तकदीर बनी
    धूल तेरे चरणों की
    हर वस्तू का मोल है जग में इस वस्तू का मोल नहीं
    चरणधूल से बढ़कर जग में चीज कोई अनमोल नहीं

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  2. बापू नैनो में झांको तो सदा झलकता प्यारा है
    बापू के हाथों में देखो, पलता ये संसार है
    अब तो सांई द्वार को छोड़ ओर कहीं ना जाना
    बापू नाम की माला का मैं बन जाऊँ एक दाना
    मैं हुआ दीवाना ओ लोगो हुआ दीवाना
    मैं सांई का दीवाना मैं बापू का दीवाना

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